'पद्मश्री' से सम्मानित हुए जगदीश पारीक, जैविक खेती में लहराया परचम
सीकर जिले के अजीतगढ़ के धरतीपुत्र जगदीश पारीक को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है. जगदीश पारीक को पदमश्री का पुरस्कार उनके जैविक खेती में किए जाने वाले नवाचारों के लिए नवाजा गया है. जगदीश पारीक मूल रूप से अजीतगढ़ कस्बे के रहने वाले हैं. 71 वषीय जगदीश सब्जियों की नई किस्म तैयार कर किसानों को मुहैया कराते रहे हैं साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नवाचार करते रहते हैं.आज के दौर में सभी जगह कीटनाशकों का बोलबाला है तथा खान-पान की चीजें भी इससे अछूती नहीं रह पाई हैं. बाजार में बिना कीटनाशकों का प्रयोग किए कोई खाद्य सामग्री सुगमता से उपलब्ध नहीं है और अगर कहीं उपलब्ध भी है तो उसकी कीमत इतनी अधिक है कि वह आमजन की पहुंच से कोसों दूर है. लोगों की इसी परेशानी को देखते हुए श्रीमाधोपुर उपखंड के अजीतगढ़ निवासी जगदीश प्रसाद पारीक ने जैविक खेती की ओर रुख किया.
जगदीश पारीक एक किसान हैं परन्तु खेती में नए-नए प्रयोग करके इन्होंने किसान वैज्ञानिक का दर्जा प्राप्त कर लिया है. नियमित नवाचार तथा कीटनाशक मुक्त खेती की वजह से इन्होंने अपना तथा अपने क्षेत्र का नाम देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी रोशन किया है. जगदीश पारीक निरंतर सब्जियों की नई किस्म विकसित करने में लगे रहते हैं. जैविक खेती के जरिए अच्छी गुणवत्ता, कीटरोधी तथा सामान्य से काफी बड़े आकार की सब्जियां पैदा करके इन्होंने आधुनिक समय में व्याप्त उस मिथ्या भ्रान्ति को तोड़ा है जिसमे यह माना जाता है कि आज के समय में बिना कीटनाशकों के प्रयोग के अधिक तथा गुणवत्तापूर्ण सब्जियां नहीं उगाई जा सकती हैं.
पारीक ने आर्गेनिक खेती की शुरुआत वर्ष 1970 से करना शुरू की. सबसे पहले उन्होंने गोभी की पैदावार से शुरुआत की. शुरू-शुरू में इनकी पैदा की गोभी का वजन लगभग आधा किलो से पौन किलो तक होता था. रासायनिक खाद या कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया बल्कि सिर्फ गोबर से बनी हुई जैविक खाद का प्रयोग किया. पारीक के खेत में 15 किलो वजनी गोभी का फूल, 12 किलो वजनी पत्ता गोभी, 86 किलो वजनी कद्दू, 6 फुट लंबी घीया, 7 फुट लंबी तोरई, 1 मीटर लंबा तथा 2 इंच मोटा बैंगन, 3 किलो से 5 किलो तक गोल बैंगन, 250 ग्राम का प्याज, साढ़े तीन फीट लंबी गाजर और एक पेड़ से 150 मिर्ची तक का उत्पादन हो चुका है. सबसे अधिक किस्में फूलगोभी में है तथा इन्होंने अभी तक 8 किलो से लेकर 25 किलो 150 ग्राम तक की फूलगोभी का उत्पादन कर लिया है. अपने निरंतर प्रयोग तथा कार्यों के प्रोत्साहन स्वरुप इन्हें वर्ष 2000 में श्रृष्टि सम्मान तथा वर्ष 2001 में फर्स्ट नेशनल ग्रास रूट इनोवेशन अवॉर्ड मिल चुका है.
वर्ष 2001 में ही 11 किलो की गोभी उत्पादन के लिए इनका नाम लिम्का बुक में दर्ज हो चुका है. पारीक अब तक छह बार राष्ट्रपति भवन के कार्यक्रमों में शिरकत कर चुके हैं तथा सबसे वजनी गोभी के फूल के विश्व रिकॉर्ड में दूसरे पायदान पर हैं. जगदीश प्रसाद विश्व रिकॉर्ड को तोडऩे के लिए जैविक खेती से 25 किलो 150 ग्राम वजनी गोभी का एक फूल उत्पादित कर चुके हैं परन्तु इनकी गोभी का फूल साढ़े आठ सौ ग्राम वजन से पिछड़ा हुआ है. वर्तमान में गोभी के फूल का विश्व रिकॉर्ड 26 किलो वजन के साथ अमेरिका के नाम है.जगदीश पारिक की इन उपलब्धियों को लेकर उन्हें इस बार भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित करने का फैसला किया है.
'पद्मश्री' से सम्मानित हुए जगदीश पारीक, जैविक खेती में लहराया परचम
2019-02-22 11:20:40
Admin










