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!.......बेकार पड़ी थी 10 एकड़ जमीन, महिला ने अपने जज़्बे से शुरू की ऑर्गेनिक खेती, बन गई कामयाब किसा

!........बेकार पड़ी थी 10 एकड़ जमीन, महिला ने अपने जज़्बे से शुरू की ऑर्गेनिक खेती, बन गई कामयाब किसान.......!

मदुरै (Madurai) की रहने वाली 54 साल की पी. भुवनेश्वरी (P. Buvaneshwari) की कामायाबी के पीछे भी उनका दृढ़ विश्वास ही है| पी. भुवनेश्वरी ने जब जैविक खेती (Organic Farming) करने का फैसला किया, तो कई लोग उनके इस निर्णय से सहमत नहीं थे. मगर उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपने फैसले को सही साबित कर दिखाया|

प्रकृति की गोद में पली-बढ़ी....!
पी. भुवनेश्वरी का जन्म तमिलनाडु के तंजावुर जिले (Tamil Nadu’s Thanjavur District) के कल्याणाओदई गांव (Kalayanaoai Village) में एक किसान परिवार में हुआ था| भुवनेश्वरी प्रकृति की गोद में पली-बढ़ी हैं| उनके घर के पास से कावेरी नदी की कल-कल करती धारा बहती थी| लिहाजा, वो हमेशा से प्रकृति के पास ही रहना चाहती थीं| पी. भुवनेश्वरी कहती हैं कि बचपन से ही उनके खेत और गांव में पैदा होने वाले कई तरह के फल और सब्जियां आसानी से उन्हें मिलते रहे हैं| वो कहती हैं कि जब उनके घरवाले खेतों में जाते थे, तो वो भी जाती थीं और बड़े ध्यान से देखती और समझती थीं कि कैसे खेती की जाती है| उसी समय से उन्हें खेती में रुचि पैदा हो गई थी|

ससुराल में किया फैसला.....!
शादी के बाद पी. भुवनेश्वरी मदुरै के पुदुकोट्टई करुप्पयुरानी गांव आ गईं
| अपने ससुराल में उन्होंने शौकिया तौर पर फूल लगाना शुरू किया| जब भुवनेश्वरी ने पूरी तरह से खेती करने का फैसला किया तो उन्होंने अपने सामने दो लक्ष्य रखे- पहला कीटनाशकों का उपयोग नहीं करना है और दूसरा चावल की देसी किस्मों का फिर से उत्पादन करना है|

भुवनेश्वरी ने अपने परिवार से 10 एकड़ के खेत में से 1.5 एकड़ खाली जमीन मांगी ताकि वह प्राकृतिक रूप से घर के लिए खेती कर सकें| खेती का फैसला तो ठीक था, लेकिन बगैर कीटनाशक का प्रयोग किए खेती करने के निर्णय पर कोई भी सहमत नहीं था| यहां तक की खेतिहर मजदूरों को भी उनके इस निर्णय पर भरोसा नहीं था| मगर भुवनेश्वरी को यकीन था कि वो पूरी तरह से जैविक खेती कर सकती हैं| अपनी किचन गार्डेनिंग के अनुभव के आधार पर उन्होंने खेती करना शुरू किया|

जैविक खेती के लिए ट्रेनिंग भी ली....!
साल 2013 में उन्होंने जैविक खेती का प्रयोग शुरू किया| वह प्राकृतिक रूप से उगाई जाने वाली सब्जियों, अनाज और फलों के लिए एक आसान तरीका चाहती थीं| लिहाजा उन्होंने जैविक खेती के बारे में अधिक जानने के लिए करूर स्थित वनगम नम्मलवर इकोलॉजिकल फाउंडेशन (Vanagam Nammalvar Ecological Foundation, Karur) से संपर्क किया| फाउंडेशन ने उनका पूरा सहयोग किया|

मेहनत लाई रंग.....!
आहिस्ता-आहिस्ता उनकी मेहनत रंग लाई और लोगों को उन पर भरोसा हो गया| आज की तारीख में पूरे 10 एकड़ की खेत में बगैर किसी केमिकल और कीटनाशकों का प्रयोग किए हुए लहलहाती फसल हो रही है| अब भुवनेश्वरी लोगों को अपने खेत दिखाने के लिए बुलाती भी हैं| साथ ही उन्हें बताती हैं कि कैसे पूरी तरह से रसायन और कीटनाशक मुक्त खेती की जा सकती है|