टर्मिनल मार्केट एक केंद्रीय साइट है, जो अक्सर मेट्रोपॉलिटन जगह पर है, जो कि कृषि वस्तुओं के लिए एक सभा और व्यापारिक स्थान के रूप में कार्य करता है। यहां उपज का विवरण करने के लिए अलग-अलग विकल्प हैं। इसे या तो अंतिम उपभोक्ता, या प्रोसेसर, या निर्यात के लिए पैक किया जा सकता है, या भविष्य की तारीख में विवरण के लिए भी संग्रहीत किया जा सकता है। यह इस प्रकार एक छत के नीचे किसानों को अलग-अलग विकल्प प्रदान करता है। आम तौर पर, टर्मिनल मार्केट एक हब और स्पोक मॉडल पर काम करता है जहां हब्स के बाजार उत्पादन केंद्रों के नजदीक स्थित संग्रह केंद्रों से जुड़े होते हैं। भारत सरकार खुदरा श्रृंखला के साथ घरेलू उपज को एकीकृत करने के साधन के रूप में टर्मिनल मार्केट को बढ़ावा देने के प्रयास में है। 131 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से पांच राज्यों में आठ शहरों में ऐसे बाजार स्थापित करने की योजना है। जिन शहरों पर विचार किया जा रहा है वे मुंबई, नासिक, नागपुर, चंडीगढ़, राय, पटना, भोपाल और कोलकाता हैं।
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भारत अगली कृषि क्रांति के लिए तैयार है?
भारत में आगामी कृषि क्रांति लंबे समय से स्थिर रही है। प्रौद्योगिकी के विकास में, भारत के जीडीपी में कृषि क्षेत्र का हिस्सा 67% हो गया है। यह भारत में अगली कृषि क्रांति के लिए सबसे उत्तम समय है। भारत में अगली कृषि क्रांति की शरुआत। आधुनिक युग में कई तकनीकें और औजार हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन रहे हैं।हाइड्रोपोनिक्स, ग्रीन हाउस और एयरोपोनिक्स और हाइब्रिड फसल किस्मों में सुधार इसका परिणाम है। वैज्ञानिक रूप से खेती, बागवानी, छंटनी और बाद में कटाई के क्षेत्र में नए क्षितिज - मूल्यवर्धन, मार्केटिग प्रबंधन, कृषि सूचना प्रौद्योगिकी, किसान चर्चा मंच, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से भारतीय कृषि विकसित हो रही है। भारतीय कृषि का यह नया युग डिजिटल क्रांति के साथ उभर रहा है। डिजिटल क्रांति के साथ, भारतीय कृषि को अपनी असली जगह पर लाने का एक बड़ा अवसर है। डिजिटल कृषि व्यवहार, खरीद और बिक्री में पारदर्शिता, कृषि कोमोडिटी के बाजार पर किसानों का नियंत्रण, अध्यतन सेंसर और डिजिटल इमेजिंग क्षमताओं के साथ ड्रोन्स का उपयोग, बड़ी मात्रा में डेटा संचय और विश्लेषण इत्यादि डिजिटल क्रांति की शुरुआत है। नवीनतम प्रौद्योगिकियों का कार्यान्वयन, कृषि डेटा को उपयोगी, सटीक और समय पर ज्ञान में बदलने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म की बढ़ती हुई क्षमता कृषि में टिकाऊ उत्पादकता वृद्धि का एक प्रमुख चालक बन रही है। किसानों ने हमेशा परिवर्तन स्वीकार कर लिया है और आज वे अधिक अध्यतन तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। आधुनिक कृषि मशीनरी पर बढ़ती निर्भरता, जीपीएस उपग्रहों का आगमन, और उपग्रह आधारित सेंसर द्वारा मार्गदर्शन उनकी फसलों को विकसित करने में निश्चित रूप से सहायक होते हैं। यह डिजिटल क्रांति तीसरी हरी क्रांति हो सकती है जो भारतीय पारंपरिक कृषि के पुनरुत्थान में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
जीरो बजट प्राकृतिक खेती या है?
जीरो बजट प्राकृतिक खेती देसी गाय के गोबर एवं गौमूत्र पर आधारीत है। एक देसी गाय के गोबर एवं गौमूत्र से एक किसान तीस एकड़ जमीन पर जीरो बजट खेती कर सकता है। देसी जात के गौवंश के गोबर एवं गौमूत्र से जीवामृत , घनजीवामृत तथा जामन बीजामृत बनाया जाता है। इनका खेत में उपयोग करने से मिट्टी में पोषकतत्व की वृद्धि के साथ-साथ जैविक गतिविधियों का विस्तार होता है। जीवामृत का महीने में एक अथवा दो बार छिड़काव किया जा सकता है। जबकि बीजामृत का इस्तेमाल बीज को उपचारित करने में किया जाता है। इस विधि से खेती करनेवाले किसान को बाजार से किसी प्रकार की खाद और कीटनाशक रसायन ख़रीदने की जरुरत नहीं पड़ती है। फसलों की सिंचाई के लिए पानी एवं बिजली भी मौजूदा खेती-बाड़ी की तुलना में दस प्रतिशत ही खर्च होती है।
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सेहत की संजीवनी गिलोय की खेती करना सीखे और बढ़ाये अपनी आय।
2021-01-19 11:13:36
!! पेड़ो की ट्रेनिंग !!
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Management of root rot
2020-04-20 15:56:52
لہسن کا پاوڈر بنانے کا تریکا
2020-04-18 12:54:14
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