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मध्य प्रदेश सरकार गेहूं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मंडी कर माफ करेगी।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में उत्पादित गेहूं के निर्यात पर कर नहीं लगाने का फैसला किया है और व्यापारियों को राज्य में कहीं भी एक लाइसेंस पर गेहूं खरीदने की अनुमति दी जाएगी। चौहान ने कहा: “मध्य प्रदेश से निर्यात किए गए गेहूं पर कोई मंडी कर नहीं लगाया जाएगा। सरकार निर्यातकों को हर संभव सुविधा प्रदान करेगी। " उन्होंने आगे कहा कि निर्यातकों को मंडियों से और सीधे किसानों से भी गेहूं खरीदने की अनुमति दी गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि रेलवे बोर्ड ने गेहूं निर्यात के लिए रैक उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहा, "अगर निर्यातकों को प्रमुख मंडियों में निर्यात घर स्थापित करने के लिए जगह चाहिए तो उन्हें रियायती दरों पर जगह मुहैया कराई जाएगी।" मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्य प्रदेश में गेहूं का उत्पादन 1.29 करोड़ मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के गेहूं की विश्वसनीयता है। बाजार में ऑनलाइन नीलामी की प्रक्रिया उपलब्ध है और निर्यातक स्थानीय व्यक्ति के पास पंजीकरण कराकर गेहूं खरीद सकेंगे। प्रदेश की प्रमुख मंडियों में निर्यातकों को गेहूं के मूल्यवर्धन एवं गुणवत्ता प्रमाणन के लिए अधोसंरचना, प्रयोगशाला की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। चौहान ने कहा, "निर्यातकों ने जो भी सुविधा मांगी थी, हमने उसे उपलब्ध कराने का प्रयास किया है। मुझे विश्वास है कि इन फैसलों से निर्यात बढ़ेगा और मध्य प्रदेश के हमारे किसानों को फायदा होगा।" चौहान ने बुधवार को अपने कैबिनेट मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की थी और निर्देश दिया था कि गेहूँ उपार्जन की व्यवस्थाओं में कोई कमी न हो। उन्होंने कहा कि गेहूँ के निर्यात को बढ़ावा दिया जाए और रबी पंजीकरण 2022-23 के नए प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए इसकी खरीद की जाए।

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कोंकण के अल्फांसो आम के किसानों ने फूड एंड टेक प्लेटफॉर्म इनोटेरा के साथ साझेदारी की।

कोंकण क्षेत्र के अल्फांसो आम किसानों ने अपने ब्रांड, एकयम को लॉन्च करने के लिए स्विस-भारतीय खाद्य और तकनीकी प्लेटफॉर्म कंपनी इनोटेरा के साथ भागीदारी की है। संस्कृत शब्द 'एकम' से व्युत्पन्न, जिसका अर्थ है 'एक' और एकता का प्रतिनिधित्व करता है, एकयम एक आम (हिंदी में 'एक आम') के रूप में अल्फांसो की स्थिति और वैश्विक स्तर पर अल्फांसो के विपणन में किसानों की एकता दोनों का प्रतिनिधित्व करता है। कोंकण क्षेत्र में 2,000 से अधिक अल्फांसो किसानों ने उपभोक्ताओं को एकयम ब्रांड के तहत बेहतरीन फल खपत अनुभव प्रदान करने के लिए सहयोग किया है। ब्रांड के तहत बेचे जाने वाले फलों को अत्यधिक क्यूरेटेड खेतों से काटा जा रहा है और एफएसएसएआई-अनुमोदित विधियों का उपयोग करके वैज्ञानिक रूप से संभाला और पकाया जाता है। प्रत्येक फल को पैकेजिंग से पहले व्यक्तिगत रूप से स्कैन किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उपभोक्ताओं को सर्वोत्तम गुणवत्ता प्राप्त हो। एकयम 100 प्रतिशत ट्रेसबिलिटी प्रदान करता है - प्रत्येक फल को एक क्यूआर कोड के साथ चिह्नित किया जाता है जो ग्राहकों को मूल फार्म में फल का पता लगाने की अनुमति देता है। एकयम के उत्पाद भारत के प्रमुख शहरों में उपलब्ध होंगे, जो मुंबई, दिल्ली-एनसीआर और कोलकाता से शुरू होकर कई पैक आकारों में उपलब्ध होंगे। मुख्य भूमि यूरोप से शुरू होकर, प्रीमियम अंतरराष्ट्रीय बाजारों में एक पायलट लॉन्च के लिए प्रयास चल रहे हैं। यह एक ऐतिहासिक साझेदारी है जिसमें पूरे कोंकण क्षेत्र में अल्फोंसो किसान शामिल है। रत्नागिरी, देवगढ़, पावास, वेंगुर्ला, केल्शी और अन्य क्षेत्रों की सहकारिता और एफपीओ इस पहल में इनोटेरा के साथ सहयोग कर रहे हैं। यह ब्रांड लॉन्च किसानों को उनके फल के सर्वोत्तम संभव मूल्य का एहसास करने में मदद करने के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। अल्फांसो किसान समुदाय के साथ यह साझेदारी इनोटेरा एग-टेक प्लेटफॉर्म की शक्ति और वादे का एक महत्वपूर्ण प्रदर्शन है। एक्याम ब्रांड को समकालीन अनुभव के साथ विकसित किया गया है, और इसका उद्देश्य वैश्विक दर्शकों को प्रीमियम उत्पाद देने की भारतीय किसान की क्षमता को प्रदर्शित करना है।

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!..... Arya.ag ने कृषक समुदाय के लिए सिंगल क्लिक एग्री इंस्टा-लोन की घोषणा की...!

!..... Arya.ag ने कृषक समुदाय के लिए सिंगल क्लिक एग्री इंस्टा-लोन की घोषणा की...! एकीकृत अनाज वाणिज्य मंच Arya.ag ने पूरे भारत में कृषक समुदाय के लिए सिंगल क्लिक एग्री इंस्टा-लोन की घोषणा की। Arya.ag का इंस्टा-लोन इसके डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपयोगकर्ताओं को तत्काल और आसान ऋण उपलब्ध कराएगा। एक किसान घर के आराम और सुविधा से अपने विवेक और पसंद के आधार पर अपनी संग्रहीत वस्तु पर तुरंत ऋण प्राप्त कर सकता है। Arya.ag के डिजिटल रूप से सक्षम गोदाम में संग्रहीत कृषि उपज के प्रत्येक बैग को इलेक्ट्रॉनिक बैलेंस में बदलने के लिए एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म एआई, एमएल, आईओटी और समग्र नए जमाने की डिजिटल तकनीकों की सर्वोत्तम क्षमताओं का लाभ उठाता है। Arya.ag पर एक ऑटोमेटेड डिसीजनिंग इंजन इस इलेक्ट्रॉनिक बैलेंस के बदले कुछ ही क्लिक में फाइनेंस प्रदान करता है। ऋण की निर्बाध और सुगम पहुंच छोटे किसानों को सशक्त बनाती है क्योंकि वे फसल के बाद किसी भी संकटपूर्ण बिक्री परिदृश्य का सामना कर सकते हैं। वित्त की तत्काल पहुंच के साथ, मूल्य श्रृंखला में छोटे धारक किसान और अन्य हितधारक किसी भी तरलता आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। यह किसानों को अपने कृषि उत्पाद के मूल्य को अनुकूलित करने के लिए सशक्त करेगा। पहले सामने आई आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 40 प्रतिशत भारतीय किसान औपचारिक ऋण से आच्छादित हैं। Arya.ag का इंस्टा-लोन भारतीय किसानों के सामने वित्त की पर्याप्त पहुंच की कमी की प्रासंगिक समस्या का समाधान करेगा। कंपनी का लक्ष्य वित्त वर्ष 2013 में इंस्टा-लोन उत्पाद से 1000 करोड़ रुपये के वितरण का लक्ष्य है।

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गाय भैंस पालन के लिए सरकार से मिलेगा 1.05 लाख रुपए का लाभ...!

जानें, क्या है राज्य सरकार की योजना और इससे कैसे मिलेगा लाभ ! केंद्र सरकार की ओर से किसानों के साथ ही पशुपालकों के लिए कई लाभकारी योजनाएं चलाई जा रही है। इसी के साथ राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर किसानों और पशुपालकों के लिए कई योजनाओं का संचालन कर रही है। इसी क्रम में हरियाणा सरकार की ओर से पशुपालकों के लिए एक खास योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत पशुपालकों को एक लाख पांच हजार रुपए का लाभ प्रदान किया जा रहा है। इस योजना का नाम पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना है। इस योजना के तहत राज्य में अधिक दूध उत्पादन के लिए पशुपालन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से गाय-भैंस सहित अन्य पशुपालकों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। इस योजना के जरिये पशुपालक 3 लाख रुपए का लोन ले सकता है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से बताएंगे कि पशु किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये पशुपालक किसानों को कैसे 1.05 लाख रुपए का लाभ हो सकता है। क्या है पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना ! हरियाणा सरकार की ओर से पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत अब पशु पालक किसानों को पशु किसान क्रेडिट कार्ड पर 1.80 लाख रुपए तक का लोन बिना किसी गारंटी के मिलेगा। यदि आप किसान है और गाय-भैंस पालते है तो आपको एक गाय पर 40 हजार रुपए और एक भैंस पर 60 हजार रुपए ऋण पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत दिया जाएगा। बता दें कि पहले इस योजना में किसान 1.60 लाख रुपए का ही लोन बिना गारंटी के ले सकते थे लेकिन अब इसकी लिमिट बढ़ाकर 1.80 लाख रुपए कर दी गई है। इसके अलावा इस योजना के तहत अधिकतम तीन लाख रुपए तक का लोन लिया जा सकता है। Pashu Kisan Credit Card Yojana : किन किसान को मिलेगा इस योजना का लाभ ! जैसा कि ये पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना हरियाणा सरकार की ओर से चलाई जा रही है। इसलिए इस योजना का लाभ सिर्फ हरियाणा राज्य के पशुपालक किसान ही उठा पाएंगे। यह योजना विशेष रूप से राज्य उन किसानों के लिए है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। जिनकी वार्षिक आय न के बराबर है और उन किसानों के पास जानवर हैं। राज्य के कर्ई पशुपालक किसान ऐसे भी हैं जिनके पास पशु तो हैं पर जब वे पशु बीमार पड़ जाते हैं तो वे पैसे के अभाव में उनका इलाज नहीं करवा पाते हैं या दवा नहीं खरीद पाते हैं। दवा केे अभाव में पशु की मौत हो जाती है। ऐसे किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए ये योजना चलाई जा रही है। किस पशु पर कितना मिलता है ऋण ! पशु किसान क्रेडिट योजना के तहत ऋण लेने पर अलग-अलग पशु के लिए अलग-अलग ऋण राशि निर्धारित की गई है जो इस प्रकार से है- एक गाय के लिए 40,783 रुपए का ऋण एक भैंस के लिए 60,249 रुपए का ऋण भेड़ और बकरी के लिए 4,063 रुपए का ऋण मुर्गी पालन के लिए- 720 रुपए का ऋण मिलेगा। सरकार से कितनी मिलती है सब्सिडी ! किसान क्रेडिट कार्ड से पात्र लाभार्थी 1 लाख 80 हजार रुपए तक का लोन बिना गारंटी के ले सकते है। किसानों को इस योजना के तहत 7 फीसदी की ब्याज दर पर लोन दिया जाता है। इसमें तीन फीसदी केंद्र सरकार सब्सिडी देती है और शेष 4 फीसदी ब्याज पर हरियाणा सरकार छूट दे रही है। इस योजना के अंतर्गत अब तक 1 लाख 40 हजार पशुपालकों के फॉर्म भरवाए जा चुके हैं। इस तरह किसानों को इस योजना के तहत 1.80 लाख रुपए का ऋण बिना ब्याज के मिलता है। पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना से ऐसे मिलेगा 1.05 लाख रुपए का लाभ ! जैसा कि हमने ऊपर बताया कि पशु किसान क्रेडिट कार्ड द्वारा बैंक से लोन लेने पर 7 प्रतिशत ब्याज लगता है। इस हिसाब से यदि आप 3 लाख रुपए तक का लोन बैंक से लेते हैं तो आपको 21 हजार रुपए वार्षिक ब्याज देना होता है। इस हिसाब से 5 साल का ब्याज 1.05 लाख रुपए बनता है। जबकि मूल राशि तीन लाख रुपए अलग है। यानि आपको ब्याज सहित कुल ऋण राशि 4 लाख 5 हजार रुपए बैंक को चुकानी होगी। लेकिन अब चूंकि पशु किसान कार्ड योजना के तहत केंद्र सरकार की ओर उसे कार्ड धारक को ब्याज पर तीन प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है और बाकी 4 प्रतिशत ब्याज पर सब्सिडी हरियाणा सरकार दे रही है। इससे आपको ब्याज का पैसा नहीं लिया जाएगा। इससे आपके लगने वाले कुल ब्याज 1.05 रुपए की सीधी-सीधी बचत हो रही है और आपको बिना ब्याज के लोन उपलब्ध हो रहा है। इससे आपको 5 साल में बैंक को सिर्फ मूल ऋण राशि 3 लाख रुपए ही चुकानी होगी। कैसे करें पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना के लिए आवेदन यदि आप भी पशु किसान क्रेडिट कार्ड बनाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपने क्षेत्र के नजदीकी बैंक शाखा में जाना होगा। वहां से पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना आवेदन पत्र लेकर प्राप्त करना होगा। इसके बाद फॉर्म में पूछी गई सभी जानकारी सही-सही भरनी होंगी। अब इस फॉर्म के साथ मांगेे गए दस्तावेज साथ लगाने होंगे। बैंक द्वारा सत्यापन के बाद आपको ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। पशु किसान क्रेडिट कार्ड के लिए पात्रता और शर्तें ! पशु किसान क्रेडिट कार्ड के लिए कुछ पात्रता और शर्तें भी तय की गई है जो इस प्रकार से हैं- किसान के पास पशुओं का हेल्थ सर्टिफिकेट होना आवश्यक है। जिन पशुओं का बीमा है उन्हीं पर ऋण दिया जाएगा। लोन लेने के लिए आपका सिविल ठीक होना चाहिए। पशु किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज आवेदक आधार कार्ड आवेदक का पेन कार्ड आवेदक का परिवार पहचान पत्र आवेदक का पते का सबूत- इसके लिए वोटर आईडी, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस में से कोई एक आधार से लिंक मोबाइल नंबर आवेदक का पासपोर्ट साइज फोटो पशुपालक किसान इन बैंकों से बनवा सकते हैं किसान क्रेडिट कार्ड पशुपालक किसानों की सुविधा के लिए हम यहां उन प्रमुख बैंंकों के नाम बता रहे हैं जो पशु किसान क्रेडिट कार्ड जारी करते हैं- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पंजाब नेशनल बैंक बैंक ऑफ बड़ौदा एचडीएफसी बैंक एक्सिस बैंक आईसीआईसीआई बैंक आदि।

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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना : किसानों को सिंचाई यंत्रों पर मिलेगी 55% सब्सिडी....!

जानें, क्या है प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और इससे कैसे मिलेगा लाभ ! किसानों को सिंचाई के लिए यंत्र उपलब्ध कराने को लेकर केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का संचालन किया जा रहा है। इसके तहत किसानों को सिंचाई यंत्र उपलब्ध कराएं जाते हैं। इस योजना में किसानों को कृषि यंत्रों पर 55 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ दिया जाता है। पीएम कृषि सिंचाई योजना का उद्देश्य पानी की एक-एक बूंद का इस्तेमाल कर अधिक फसल उत्पादन प्राप्त करना है। इसके लिए किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली अपनाने पर जोर दिया जा रहा है और इस पर सब्सिडी का लाभ किसानों को दिया जा रहा है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के बारें में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं ताकि आप इस योजना का लाभ उठा सकें। क्या है प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana)! प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 1 जुलाई 2015 को हर खेत को पानी के आदर्श वाक्य के साथ शुरू की गई थी। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) को सुनिश्चित सिंचाई के साथ खेती वाले क्षेत्र का विस्तार करने, पानी की बर्बादी को कम करने और जल उपयोग दक्षता में सुधार करने के लिए लागू किया गया है। पानी की बढ़ती कमी को देखते हुए बूंद-बूंद जल उपयोग करना ही इस योजना का मुख्य लक्ष्य है। इसके लिए सरकार किसानों से ड्रिप व स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली जोर दे रही है। इस पर सरकार की ओर से सब्सिडी का लाभ किसानों को प्रदान किया जाता है। ड्रिप और स्प्रिंकलर पर मिलती है 55 प्रतिशत सब्सिडी (Drip & Sprinkler) ! हर बूंद अधिक फसल योजना के तहत किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार किसानों को इकाई लागत का 55 प्रतिशत और अन्य किसानों को 45 प्रतिशत पर सब्सिडी या वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इसके अलावा कुछ राज्य सूक्ष्म सिंचाई को अपनाने के लिए किसानों के हिस्से को कम करने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन या टॉप-अप सब्सिडी प्रदान करते हैं। किसानों को सब्सिडी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से जारी की जाती है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में सब्सिडी के लिए आवश्यक दस्तावेज पीएम कृषि सिंचाई योजना के तहत सिंचाई यंत्रों पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए किसानों को कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। ये दस्तावेज इस प्रकार से हैं। • आवेदन करने वाले किसान का आधार कार्ड • बैंक पासबुक के पहले पेज की फोटोकॉपी • जाति प्रमाण-पत्र (अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी यदि लागू हो) • बिजली बिल की कॉपी • ओटीपी के लिए आधार से लिंक मोबाइल नंबर पीएम कृषि सिंचाई योजना में कैसे करें आवेदन ! किसान भाई पीएम कृषि सिंचाई योजना में ऑनलाइन और ऑफ लाइन दोनों तरीके से आवेदन कर सकते हैं। ऑफ लाइन आवेदन के लिए आप अपने क्षेत्र के कृषि विभाग के कार्यालय या जिला कृषि अधिकारी/जिला बागवानी अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। वहीं ऑनलाइन आवेदन के लिए आपकों इसकी अधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। यहां आपको बता दें कि पीएम कृषि सिंचाई योजना देश के सभी राज्यों में समान रूप से लागू है। कई राज्य इस योजना में ऑनलाइन आवेदन मांगते हैं जैसे-मध्यप्रदेश में ई-कृषि यंत्र पार्टल पर आवेदन मांगे जाते हैं। वहीं कई राज्यों में ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से आवेदन करने की छूट होती है। इस योजना में किसानों को कृषि सिंचाई यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ प्रदान करने लिए समय-समय पर राज्य सरकारें किसानों से आवेदन मांगती हैं। इसके अनुरूप आवेदन करके किसान प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत कृषि यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। पीएम कृषि सिंचाई योजना में ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया ! सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। (अलग-अलग राज्यों की अपनी आधिकारिक वेबसाइट होती हैं।) होम पेज पर लॉगइन ऑप्शन पर क्लिक करें। आप अपने नाम या ईमेल आईडी से लॉग इन कर सकते हैं। अब प्रासंगिक लिंक का चयन करें। पीडीएफ गाइडलाइन से जानकारी लें और अप्लाई करें। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की अधिक जानकारी के लिए कहां करें संपर्क पीएम कृषि सिंचाई योजना की अधिक जानकारी के लिए किसान भाई अपने जिले के कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा इसकी आधिकारिक वेबसाइट https://pmksy.gov.in/ पर जाकर इसके बारे में जानकारी ले सकते हैं।

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कृषि यंत्र: पावर हैरो, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, पैडी ट्रांसप्लांटर पर मिलेगी 50% सब्सिडी...!

कृषि यंत्रों पर सब्सिडी : जानें, कैसे करना है आवेदन और क्या देने होंगे दस्तावेज ! किसानों को खेती के लिए कृषि यंत्रों की अहम भूमिका होती है। कृषि यंत्रों की सहायता से खेती और बागवानी का काम कम समय और खर्च में पूरा किया जा सकता है। किसानों को कृषि यंत्रों का लाभ प्रदान करने के लिए सरकार की ओर से पीएम कृषि यंत्र अनुदान योजना चला रखी है। इसके तहत अलग-अलग राज्य अपने नियमानुसार निर्धारित सब्सिडी का लाभ किसानों को प्रदान करते हैं। अभी मध्यप्रदेश सरकार की ओर से राज्य के किसानों से पावर हैरो, हैप्पी सीडर /सुपर सीडर, पैडी (राईस) ट्रांसप्लांटर सहित छह यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जा रहा है। इसके लिए राज्य के किसानों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। किसानों को मांग के अनुसार श्रेणी के तहत उक्त कृषि यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाएगा। बता दें कि मध्यप्रदेश सरकार की ओर से किसानों को कृषि यंत्रों पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। आज हम आपको ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से मध्यप्रदेश कृषि यंत्र अनुदान योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी, आवेदन के लिए दस्तावेज, आवेदन की प्रक्रिया सहित धरोहर राशि के बारें में जानकारी दे रहे हैं। क्या है कृषि यंत्र अनुदान योजना मध्यप्रदेश ! मध्यप्रदेश सरकार की ओर से किसानों को कृषि यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। इसके लिए ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल बनाया गया है। यहां समय-समय पर किसानों से कृषि यंत्रों के लिए आवेदन मांगे जाते हैं। जिसकी सूचना पोर्टल पर प्रदर्शित की जाती है। कृषि यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ विशेष कर छोटे और सीमांत किसानों को दिया जाता है। जिसमेें अनुसूचित जाति, जन जाति और महिला किसानों को प्राथमिकता दी जाती है। किन कृषि यंत्रों पर दी जा रही है सब्सिडी ! मध्यप्रदेश सरकार के कृषि अभियांत्रिकी विभाग की ओर से ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर कृषि यंत्रों पर सब्सिडी के लिए किसानों से मांग के अनुसार श्रेणी के तहत राज्य के छह यंत्रों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इच्छुक किसान इसके लिए आवेदन करके सब्सिडी का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ये कृषि यंत्र पावर हैरो, हैप्पी सीडर /सुपर सीडर, हे रेक, न्यूमेटिक प्लांटर, पैडी (राईस) ट्रांसप्लांटर है। कृषि यंत्रों पर कितनी मिलेगी सब्सिडी ! मध्यप्रदेश में किसानों को अलग-अलग योजनाओं के तहत कृषि यंत्रों पर किसान वर्ग एवं श्रेणी के अनुसार अलग-अलग सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है, जो 40 से 50 प्रतिशत तक है। किसान ऊपर दिए यंत्रों में से जो भी कृषि यंत्र लेना चाहते हैं, वह किसान पोर्टल पर उपलब्ध सब्सिडी कैलकुलेटर पर कृषि यंत्र की लागत के अनुसार उनको मिलने वाली सब्सिडी की जानकारी देख सकते हैं। किसानों को जमा करानी होगी धरोहर राशि ! उपरोक्त कृषि यंत्रों के आवेदन प्रस्तुत करते समय आवेदकों को 5 हजार रुपए की धरोहर राशि के बैंक ड्राफ्ट जो उनके जिले के सहायक कृषि यंत्रों के नाम पर बनाए जाएंगें स्कैन करके पोर्टल पर अपलोड करना होगा। यदि किसी आवेदक द्वारा धोखा देने उद्देश्य से गलत अभिलेख बैंक ड्राफ्ट के स्थान पर लगाया जाता है, तो उस आवेदन को निरस्त करते हुए आगामी छह माह के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। उपरोक्त कृषि यंत्र वर्तमान में ‘’मांग अनुसार श्रेणी’’ में सम्मिलित है, इसलिए कार्यालय में मांग प्रस्तुत करते समय आवेदकों से प्राप्त धरोहर राशि के ड्राफ्ट उनके प्रकरण के अंतिम निराकरण तक जमा रहेगा तथा उसके उपरांत कृषकों को वापस लौटा दिया जाएगा। पूर्व सूची में सम्मिलित पशु निवारक बायो अकॉस्टिक यंत्र हेतु ड्राफ्ट की बाध्यता नहीं होगी।

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खेती के लिए #ड्रोन खरीदने पर सरकार से मिलेगी 100 प्रतिशत सब्सिडी....!

खेती के लिए #ड्रोन खरीदने पर सरकार से मिलेगी 100 प्रतिशत सब्सिडी....! ड्रोन से खेती : जानें, क्या है सरकार की योजना और इससे कैसे मिलेगा लाभ! खेती में कृषि यंत्रों की महती भूमिका को देखते हुए सरकार की ओर से किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। इस यंत्रों की सूची में अब ड्रोन का नाम भी जुड़ गया है। किसान संगठन सहित कृषि से जुड़ी संस्थाएं को खेती के लिए ड्रोन की खरीद पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाएगा। बता दें कि किसानों को सब्सिडी का लाभ प्रदान करने के लिए कृषि यंत्र अनुदान योजना चलाई जा रही है। इसके तहत किसानों को राज्य के नियमों के अनुसार सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। इसी कड़ी में अब ड्रोन की खरीद पर भी सरकार की ओर से 100 प्रतिशत सब्सिडी जो अधिकतम 10 लाख रुपए होगी दी जाएगी। Drone Farming :खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि के विद्यार्थी आगे आएं! पिछले दिनों आयोजित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के 60वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि की तेजी से प्रगति के लिए नई टेक्नोलॉजी व संसाधन अपनाने पर जोर देते हुए ड्रोन के माध्यम से खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि के छात्र-छात्राओं से आगे आने का आह्वान किया। पूसा इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली में आयोजित गरिमामय दीक्षांत समारोह में केंद्रीय मंत्री तोमर ने उन्नत किस्मों व प्रौद्योगिकी के विकास के माध्यम से खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आईएआरआई द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की। तोमर ने किसानों के लाभ और विभिन्न हितधारकों के लिए ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया तथा बताया कि सरकार ने ड्रोन प्रशिक्षण देने के लिए शत-प्रतिशत सहायता-अनुदान देने का निर्णय लिया है। कृषि के विद्यार्थी इसमें बेहतर भूमिका निभा सकते है। कृषि के छात्र-छात्राओं के लिए सब्सिडी का प्रावधान भी है। इस मौके पर प्रो. आर.बी. सिंह,पूर्व निदेशक, आईएआरआई को डी.एससी मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। संस्थान के पोस्ट ग्रेजुएट स्कूल से 284 छात्रों को डिग्री मिली, जिनमें 8 विदेशी छात्र शामिल हैं। मुख्य अतिथि ने फल-सब्जियों की 6 किस्मों को राष्ट्र को समर्पित किया। ड्रोन खरीदने के लिए किन्हें मिलेगा 100 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ! केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने कृषि क्षेत्र के हितधारकों के लिए ड्रोन तकनीक को किफायती बनाने के दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने देश में ड्रोन का उपयोग बढ़ाने के लिए कृषि मशीनीकरण पर उप मिशन (एसएमएएम) के दिशा-निर्देशों में संशोधन किया गया है। इसमें अलग-अलग कृषि संस्थानों, उद्यमियों, कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) एवं किसानों के लिए सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। इनके अनुसार कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों, आईसीएआर संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा ड्रोन की खरीद पर कृषि ड्रोन की लागत का 100 प्रतिशत तक या 10 लाख रुपए, जो भी कम हो का अनुदान दिया जाएगा। इसके तहत किसानों के खेतों में बड़े स्तर पर इस तकनीक का प्रदर्शन किया जाएगा। अन्य लाभार्थियों को ड्रोन खरीदने पर कितनी मिलेगी सब्सिडी! -कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) किसानों के खेतों पर इसके प्रदर्शन के लिए कृषि ड्रोन की लागत का 75 फीसदी तक अनुदान पाने के लिए पात्र होंगे। मौजूदा -कस्टम हायरिंग सेंटर्स द्वारा ड्रोन और उससे जुड़े सामानों की खरीद पर 40 प्रतिशत मूल लागत या 4 लाख रुपए, जो भी कम हो, वित्तीय सहायता के रूप में उपलब्ध कराए जाएंगे। कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना कर रहे कृषि स्नातक ड्रोन और उससे जुड़े सामानों की मूल लागत का 50 प्रतिशत हासिल करने या ड्रोन खरीद के लिए 5 लाख रुपए तक अनुदान समर्थन लेने के पात्र होंगे। -ग्रामीण उद्यमियों को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं या उसके समान परीक्षा उत्तीर्ण होने चाहिए और उनके पास नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा निर्दिष्ट संस्थान या किसी अधिकृत दूरस्थ पायलट प्रशिक्षण संस्थान से दूरस्थ पायलट लाइसेंस होना चाहिए। यह कस्टम हायरिंग केंद्र ले सकेंगे सब्सिडी पर ड्रोन जैसा कि कस्टम हायरिंग सेंटर्स की स्थापना किसान सहकारी समितियों, एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों द्वारा की जाती है। वहीं एसएमएएम, आरकेवीवाई या अन्य योजनाओं से वित्तीय सहायता के साथ किसान सहकारी समितियों, एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों द्वारा स्थापित किए जाने वाले नए सीएचसी या हाई-टेक हब्स की परियोजनाओं में ड्रोन को भी अन्य कृषि मशीनों के साथ एक मशीन के रूप में शामिल किया जा सकता है। ड्रोन के प्रदर्शन के लिए मिलेगी वित्तीय सहायता! ड्रोन तकनीक प्रदर्शन करने वाली कार्यान्वयन एजेंसियों को 6 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर आकस्मिक व्यय उपलब्ध कराया जाएगा, जो ड्रोन खरीदने की इच्छुक नहीं हैं लेकिन कस्टम हायरिंग सेंटर्स, हाई-टेक हब्स, ड्रोन मैन्युफैक्चरर्स और स्टार्ट-अप्स से किराये पर लेना चाहते हैं। उन कार्यान्वयन एजेंसियों के लिए आकस्मिक व्यय 3 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर तक सीमित रहेगा। वित्तीय सहायता और अनुदान 31 मार्च, 2023 तक उपलब्ध होगा। कृषि में ड्रोन के उपयोग के लिए इन नियमों का करना होगा पालन! नागर विमानन मंत्रालय (एमओसीए) और नागर विमानन महानिदेशक (डीजीसीए) द्वारा सशर्त छूट सीमा के माध्यम से ड्रोन परिचालन की अनुमति दी जा रही है। एमओसीए ने भारत में ड्रोन के उपयोग और संचालन को विनियमित करने के लिए 25 अगस्त, 2021 को जीएसआर संख्या 589 (ई) के माध्यम से ‘ड्रोन नियम 2021’ प्रकाशित किए थे। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग कृषि, वन, गैर फसल क्षेत्रों आदि में फसल संरक्षण के लिए उर्वरकों के साथ ड्रोन के उपयोग और मिट्टी तथा फसलों पर पोषक तत्वों के छिडक़ाव के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) भी लाई गई हैं। प्रदर्शन करने वाले संस्थानों और ड्रोन के उपयोग के माध्यम से कृषि सेवाओं के प्रदाताओं को इन नियमों / विनियमों और एसओपी का पालन करना होगा।

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#उर्वरक के वितरण, मूल्य, गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए केंद्र ने कानून का प्रस्ताव रखा है।

#उर्वरक के वितरण, मूल्य, गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए केंद्र ने कानून का प्रस्ताव रखा है। (1) अधिकतम विक्रय मूल्य निर्धारित करना केंद्र ने एक कानून प्रस्तावित किया है जो उसे उर्वरकों की अधिकतम बिक्री मूल्य तय करने और इसकी गुणवत्ता और वितरण को नियंत्रित करने का अधिकार देता है। उर्वरक विभाग ने 26 फरवरी तक एकीकृत पौध पोषण प्रबंधन विधेयक, 2022 के मसौदे पर सभी हितधारकों से टिप्पणियां मांगी हैं। (2) वितरण को नियंत्रित करना यह एक 'एकीकृत पादप पोषण प्रबंधन प्राधिकरण' स्थापित करने का भी प्रयास करता है। विभाग की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए मसौदा दस्तावेज में कहा गया है, "यह घोषित किया जाता है कि यह जनहित में समीचीन है कि संघ को उर्वरकों के वितरण, मूल्य और मानकों की गुणवत्ता को अपने नियंत्रण में लेना चाहिए।" (3) सतत उपयोग प्रस्तावित कानून का उद्देश्य जैव-उर्वरक, जैव-उत्तेजक, नैनो-उर्वरक और जैविक उर्वरकों सहित संतुलित उर्वरकों के विकास और सतत उपयोग को बढ़ावा देना है। यह भारत में उर्वरकों के निर्माण, उत्पादन, वितरण और मूल्य प्रबंधन की प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रयास करता है, जो बदले में, व्यापार करने में आसानी में सुधार करेगा। (4) वितरण को विनियमित करना "केंद्र सरकार, उर्वरकों के समान वितरण को विनियमित करने और उर्वरकों को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने की दृष्टि से, आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, अधिकतम मूल्य या दरें तय कर सकती है, जिस पर किसी डीलर, निर्माता द्वारा कोई उर्वरक बेचा जा सकता है, आयातक या उर्वरक विपणन इकाई, “मसौदे में कहा गया है। (5) सशक्तिकरण केंद्र इसका उद्देश्य केंद्र को अलग-अलग भंडारण अवधि वाले उर्वरकों के लिए या विभिन्न क्षेत्रों या उपभोक्ताओं के विभिन्न वर्गों के लिए अलग-अलग मूल्य या दरें तय करने के लिए सशक्त बनाना है। मसौदे में कहा गया है, "कोई भी डीलर, निर्माता आयातक या उर्वरक विपणन इकाई अधिकतम मूल्य से अधिक कीमत पर किसी भी उर्वरक को न तो बेचेगी और न ही बिक्री के लिए पेश करेगी।"

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जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने भेड़ पालन क्षेत्र को बदलने के लिए न्यूजीलैंड की कंपनी के साथ समझौता ज्ञापन प

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने भेड़ पालन क्षेत्र को बदलने के लिए न्यूजीलैंड की कंपनी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। अधिकारियों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने १० फरवरी, 2022 को केंद्र शासित प्रदेश में भेड़ पालन क्षेत्र के परिवर्तन के लिए न्यूजीलैंड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और कृषि उत्पादन एवं किसान कल्याण विभाग पशु के प्रमुख सचिव नवीन चौधरी की उपस्थिति में वर्चुअल मोड के माध्यम से दोनों पक्षों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। समझौते के अनुसार, व्यापक उद्देश्य किसानों के पारिश्रमिक में सुधार, अनुसंधान और विकास में प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के साथ-साथ जम्मू और कश्मीर के भेड़ उत्पादों के विपणन और मूल्यवर्धन में सुधार करना है। न्यूजीलैंड विश्व स्तर पर भारत के बढ़ते संबंधों का एक महत्वपूर्ण भागीदार है। इस साल दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की शुरुआत की 70वीं वर्षगांठ है। यह साझेदारी को मजबूत करने और दीर्घकालिक, पारस्परिक रूप से मजबूत आर्थिक संबंधों की एक मजबूत इमारत के निर्माण के संकल्प को मजबूत करने का अवसर देता है।

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सरकार ने अमेरिका को भारतीय आमों के निर्यात के लिए यूएसडीए की मंजूरी प्राप्त की।

सरकार ने अमेरिका को भारतीय आमों के निर्यात के लिए यूएसडीए की मंजूरी प्राप्त की। भारत ने नए सत्र में अमेरिका को घरेलू आमों के निर्यात के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग (यूएसडीए) की मंजूरी हासिल कर ली है। भारतीय आमों के निर्यात को अमेरिका द्वारा 2020 से प्रतिबंधित कर दिया गया है क्योंकि COVID-19 महामारी के कारण अंतर्राष्ट्रीय यात्रा पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण यूएसडीए निरीक्षक विकिरण सुविधाओं के निरीक्षण के लिए भारत का दौरा करने में असमर्थ थे। 23 नवंबर, 2021 को, कृषि और किसान कल्याण विभाग और यूएसडीए ने "2 बनाम 2" कृषि-बाजार पहुंच मुद्दों को लागू करने के लिए एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते के तहत, भारत और अमेरिकाको भारत के आम और अनार के निर्यात के लिए विकिरण और अमेरिका से चेरी और अल्फाल्फा घास के आयात पर एक संयुक्त प्रोटोकॉल का पालन करेंगे। एक संशोधित कार्य योजना तैयार की गई है, जिसमें दोनों देशों के बीच सहमति के अनुसार भारत को विकिरण उपचार की पूर्व मंजूरी की निगरानी का चरण-वार हस्तांतरण शामिल है। आपसी समझौते के हिस्से के रूप में, भारत मार्च के बाद से अल्फांसो किस्म के आमों के साथ शुरू होने वाले आम के मौसम में संयुक्त राज्य अमेरिका को आम निर्यात करने में सक्षम होगा। यूएसडीए की मंजूरी महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे पारंपरिक आम उत्पादन क्षेत्रों से निर्यात का मार्ग प्रशस्त करेगी। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने कहा कि इससे उत्तर और पूर्वी भारत से आम की अन्य स्वादिष्ट किस्मों, जैसे लंगड़ा, चौसा, दशहरी, फाजली, आदि को उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से निर्यात करने का अवसर मिलेगा।